sankashti chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी व्रत क्यों रखना चाहिए ?

sankashti chaturthi

sankashti chaturthi: कहते हैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति के दुखों का अंत होने लगता है।  

sankashti chaturthi संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्देश्य गणेश भगवान की कृपा को प्राप्त करना और उनकी आशीर्वाद से विघ्नों से मुक्ति प्राप्त करना है। गणेश भगवान हिन्दू धर्म में विघ्नहर्ता और विद्यार्थीओं के प्रमुख आराध्यदेवता माने जाते हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत में व्रती व्यक्ति पूजा, अर्चना, व्रत कथा का पाठ, मंत्र जप, और विशेष भोग चढ़ाने के साथ गणेश भगवान की आराधना करता है।

इस व्रत को अनुसरण करके भक्त गणेश भगवान से अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की कामना करते हैं और उनसे अपने जीवन में आने वाले विघ्नों का निवारण करने का आशीर्वाद मांगते हैं। यह व्रत भक्ति, श्रद्धा, और आस्था की भावना के साथ किया जाता है और व्यक्ति को मानसिक शांति और सुख-शांति की प्राप्ति का साधन करता है।

sankashti chaturthi का व्रत हिन्दू धर्म में भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। यह प्रतिमाह होने वाला एक व्रत है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जिसे “संकष्टी चतुर्थी” कहा जाता है। इसे “संकष्टी” शब्द से इसलिए जाना जाता है क्योंकि इस व्रत का मुख्य उद्देश्य संकटों और दुःखों से मुक्ति प्राप्त करना है।

यहां sankashti chaturthi संकष्टी चतुर्थी के व्रत को मनाने के विभिन्न पहलुओं की  जानकारी है:

sankashti chaturthi:

पूजा का आयोजन: संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तगण घर में विशेष पूजा आयोजित करते हैं। गणेश मूर्ति की स्थापना की जाती है और उसे सुन्दर फूल, दीप, धूप, नैवेद्य, और अन्य पूजा सामग्री से पूजा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी , हिन्दू धर्म में एक विशेष व्रत है जो भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस व्रत का आयोजन मुख्यत: गणेश भक्तों द्वारा किया जाता है, और यह हर मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है और इसे भगवान गणेश की कृपा, सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

शुभ मुहूर्त में पूजा: संकष्टी चतुर्थी को शुभ मुहूर्त में मनाने से मान्यता है, जिससे भक्त अपनी पूजा और व्रत को और भी पुण्यमय बना सकते हैं।

व्रत की कथा:  संकष्टी चतुर्थी की कथा का सुनना भी इस व्रत का हिस्सा है। कथा में गणेश भगवान की कृपा से एक भक्त को अपनी संकट से मुक्ति मिलती है।

व्रत का अंत: व्रत के अंत में चंदन और कुमकुम के चंदे द्वारा गणेश भगवान की आराधना की जाती है और व्रती भक्तगण गणेश जी की कृपा की कामना करते हैं।

नैवेद्य और प्रसाद: व्रत के दौरान विशेष प्रकार के नैवेद्य (भोग) बनाए जाते हैं और इसे भक्तों को चढ़ाया जाता है। इसके बाद, यह प्रसाद भक्तों को बाँटा जाता है।

sankashti chaturthi व्रत का महत्व :  संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक उपाय माना जाता है। इस व्रत के माध्यम से भक्त अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के प्रति भक्ति और विश्वास को बढ़ाता है और भक्तों को उनकी कृपा से संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है। यह व्रत बहुत प्रचलित है , विशेषकर भारतीय महिलाएं जो हिन्दू धरम में विश्वास रखती हैं , इस व्रत को अपने घर – परिवार को  सभी प्रकार के संकटों से मुक्त करने की इच्छा से करती हैं।   

https://en.wikipedia.org/wiki/Sankashti_Chaturthi

साल 2024 में sankashti chaturthi  संकष्टी चतुर्थी :

29 जनवरी- लंबोदर संकष्टी चतुर्थी 

28 फरवरी- द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 

28 मार्च- भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 

27अप्रैल- विकट संकष्टी चतुर्थी 

26 मई- एकदन्त संकष्टी चतुर्थी 

25 जून- कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी 

24 जुलाई- गजाननसंकष्टी चतुर्थी 

 22 अगस्त- हेरंब संकष्टी चतुर्थी 

21 सितम्बर- विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 

20 अक्टूबर- वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 

18 नवंबर- गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 

18 दिसंबर- अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 

 

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