Basant Panchami 2024: प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। इस लेख में हम बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के महत्व को विस्तार पूर्वक जानेंगे।
इस वर्ष बसंत पंचमी (Basant Panchami) 14 फरवरी 2024, बुधवार को मनाई जाएगी।
यह हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे ज्ञान पंचमी और श्री पंचमी भी कहा जाता है। यह त्योहार पूर्वी एवं उत्तरी भारत में मनाया जाता है। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं।
भारतीय परपराओं में वायुमंडलीय दशाओं में विभिन्नताओं के अनुसार पूरे वर्ष को छ्ह ऋतुओं में बांटा गया है जिसमें से एक है बसंत ऋतू। बसंत ऋतू को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इसमें खेतो में फसलें लहलहा जाती है, फूल खिल जाते हैं,आम के पेड़ पर बौर आ जाती है, तितलियाँ मंडरा रही होती हैं चारो और प्रकृति अपने अनेको रंग बिखेर रही होती है।
हिन्दू शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋशी पंचमी भी कहा जाता है।
Basant Panchami क्यों मनाई जाती है?
- मान्यताओं के अनुसार विद्या, संगीत और कला की देवी माँ सरस्वती का अवतरण बसंत के दिन ही हुआ था। इसीलिए सभी लोग ज्ञान प्राप्ति के लिए माँ सरस्वती की पूजा करते हैं और इसे सरस्वती पूजा भी कहा जाता है।
- लोग इस दिन माँ सरस्वती से ज्ञान, विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा करते हैं, पीले वस्त्र धारण करते हैं एवं पीले फूल चढाते हैं।
- विद्यार्थियों और संगीत से जुड़े लोगो के लिए यह दिन काफी ख़ास होता है।
- यह त्यौहार सर्दियों के मौसम का अंत और बसंत की शुरुवात का प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है।
कैसे हुई बसंत पंचमी (Basant Panchami) मनाने की शुरुआत?
माना जाता है की जब सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो उसमें जीव और मनुष्य दोनों ही थे, परन्तु उन्होंने पाया की नीरसता है चारों ओर वातावरण काफी शांत प्रतीत हुआ, मानो जैसे जीवन में कोई उमंग, रंग और वाणी ही न हो।
तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी से अनुमति ली, और अपने कमंडल का जल धरती पर फैंका। तभी एक अद्भुद चार भुजाओं वाली सुन्दर स्त्री पैदा हुई। उनके हाथ में वीणा, पुस्तक, मुद्रा थी। तभी ब्रह्मा जी ने उन्हें वीणा बजाने के लिए कहा, जैसे ही वीणा के स्वर पूरे संसार में गूंजे, सभी जीवो को वाणी मिली।
वीणा के साथ उन्होंने विद्या और बुद्धि भी प्रदान की और इसीलिए वो स्त्री माँ सरस्वती कहलायीं। उन्ही की अनुकम्पा संसार पर बनाए रखने के लिए लोग बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करके उनका आह्वान करते हैं।
Basant Panchami 2024: माँ सरस्वती की पूजा विधि
सवेरे स्नानादि करने के पश्चात पीले वस्त्र पहने, माँ सरवती की प्रतिमा को ईशान कोण में रखें। तब माँ को पीले वस्त्र पहनाये और पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद मां को हल्दी, चन्दन, रोली, केसर और अक्षत अर्पित करें। माँ को मिठाई अर्पित करें। माँ सरस्वती के पास वाद्य यंत्र रखें और सरस्वती माँ के मंत्रो का जाप करें।
या देवी सर्वभूतेषु, विद्या रूपेण संसिस्ठा
नमस्तस्य नमस्तस्य नमस्तस्य नमोः नमः।
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Basant Panchami के दिन क्या किया जाता है?
- लोग इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पीले वस्त्र धारण करते है और माँ सरस्वती की पूजा करते है।
- आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें पीले फूल अर्पित करते हैं।
- कई जगह पर बच्चे अपनी पुस्तकों की पूजा करते हैं।
- इस दिन को अत्यंत शुभ मानते हुए लोग इसमें शुभ कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश इत्यादि को करना उपयुक्त समझते हैं।
- लोग नए व्यवसाय एवं महत्वपूर्ण परियोजना की भी शुरुवात करते है।
- बसंत पंचमी से ही होली कभी शरुवात हो जाती है।
- लोग तरह तरह के पकवान बनाते हैं।
- कई क्षेत्रों में रंग बिरंगी पतंगे भी उड़ाई जाती हैं।
- विभिन्न क्षेत्रों में हवन व् अनुष्ठान भी कराये जाते हैं।
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Basant Panchami के दिन न केवल विद्यार्थी बल्कि स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और संगीत की साधना करने वाले साधक भी यह त्यौहार बड़े ही हर्ष उल्लास से मनाते हैं। खिलखिलाती प्रकृति और उसके अनेको रंग इस बसंत में बड़े लुभावने दिखते हैं। उपवन सुन्दर फूलो से सजे और पक्षी चहचहाते नज़र आते हैं। गाँव में खेतों में लहलहाती सरसों बड़ा खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है। कहा जाये तो यह Basant Panchami का त्यौहार विभिन्न भारतीय परम्पराओ को खुद में समेटता हुआ, कुछ पौराणिक कथाओं पर आधारित, जीवन में उमंग और हर्ष बिखेरता है।